अक्सर मेरे करीब से कहानियां गुजरतीं हैं
छुती हैं मुझको
और
झिझोड़ती है।
जिस्म बेचती औरते
मेरे जेहन मे
अजीब लाईनें उकेरती है
अक्सर मेरे करीब से कहानियां गुजरती है।
कोयले के कालिख से पुते-
काले-काले हाथ
नेताओं के कुरते पर
सफेदी उडेलती हैं
अक्सर मेरे करीब से कहानियां गुजरती हैं।
ऊंची-2 इमारतें
खाती है झोपडो कि खुराक
सीवरों कि मोटी पाईपे
कस्बों कि गलियों से गुजरती हैं
अक्सर मेरे करीब से कहानियां गुजरती हैं।
उडता है बचपन
सुबहो-शाम
मजदूर के चुल्हे से
जवानी कारखानों कि भट्टीयो मे पकती हैं
अक्सर मेरे करीब से कहानियां गुजरती हैं
मेरी कहानी का
किरदार
सो गया है थक के
अपने ही रिक्शे पर
उधार कि किश्ते
उसके नसो पे उभरती हैं
अक्सर मेरे करीब से कहानियां गुजरती हैं।